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Tuesday 28 March 2017

*30 गलतिया* #01
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

★ इस ख़याल में हमेशा मगन रहना की जवानी और तंदुरस्ती हमेशा रहेगी।
★ मुसीबतो में बे सब्र बन कर चीख व पुकार करना।
★ अपनों अक्ल को सब से बढ़ कर समझना।
★ दुश्मन को हक़ीर (कमज़ोर) समझना।
★बिमारी को मामूली समझ कर शुरू में इलाज न करना।
★ अपनी राय पर अमल करना और दुसरो के मशवरों को ठुकरा देना।
★ किसी बदकार को बार बार आज़मा कर भी उस की चापलूसी में आ जाना।
★ बेकारी में खुश रहना और रोज़ी की तलाश न करना।
★ अपना राज़ किसी दूसरे को बता कर उसे पोशीदा रखने की ताकीद करना।
★ आमदनी से ज़्यादा खर्च करना।
★ लोगो की तकलीफ में शरीक न होना और उन से इमदाद की उम्मीद रखना।
★ एक दो ही मुलाक़ात में किसी शख्स की निस्बत कोई अच्छी या बुरी राय क़ाइम कर लेना।
★ वालिदैन की खिदमत न करना ओर औलाद से खिदमत की उम्मीद रखना।
★ किसी काम को इस ख्याल से अधूरा छोड़ देना की फिर किसी वक़्त मुकम्मल कर लिया जाएगा।
★ हर शख्स से बदी करना और लोगो से अपने लिये नेकी की तवक़्क़ोअ रखना।

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 360*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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