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Friday 24 March 2017

*मुबारक महीने* #17
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*जुल हिज्जा* #01
*_इब्तिदाई 10 दिन की फ़ज़ीलत_*
     बाज़ अहादीस के मुताबिक़ जुल हिज्जा का पहला अशरा (यानि इस माह के शुरू के 10 दिन) रमज़ानुल मुबारक के बाद सब दिनों से अफज़ल है।

*_नेकिया करने के पसन्दीदा तरीन अय्याम_*
     हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया : इन 10 दिनों से ज़्यादा किसी दिन का नेक अमल अल्लाह को महबूब नही। सहाबए किराम ने अर्ज़ की, या रसूलल्लाह ﷺ ! और न राहे खुदा में जिहाद ? फ़रमाया, और न राहे खुदा में जिहाद, मगर वो की अपने जानो माल ले कर निकले फिर उन में से कुछ वापस न लाए (यानी सिर्फ वो मुजाहिद अफज़ल होगा जो जानो माल क़ुर्बान करने में कामयाब हो गया)
*✍🏽सहीह बुखारी, 1/333, हदिष:969*

*_शबे क़द्र के बराबर फ़ज़ीलत_*
     हदिष में है, अल्लाह को अशर ऐ जुल हिज्जा से ज़्यादा किसी दिन में अपनी इबादत किया जाना पसन्दीदा नही इस के हर दिन का रोज़ा एक साल के रोज़ो और हर शब् का क़याम शबे क़द्र के बराबर है।
*✍🏽तिर्मिज़ी, 2/192, हदिष:758*

*_अरफ़ा का रोज़ा_*
     हुज़ूर ﷺ का फरमान है, मुझे अल्लाह पर गुमान है को अरफ़ा (9 जुल हिज्जा) का रोज़ा एक साल क़ब्ल और एक साल बाद के गुनाह मिटा देता है।
*✍🏽सहीह मिस्लिम, 590, हदिष :196*

*_एक रोज़ा हज़ार रोज़ो के बराबर_*
    हज़रते आइशा رضي الله تعالي عنها से रिवायत है, हुज़ूर ﷺ ने इरशाद फ़रमाया अरफ़ा का रोज़ा हज़ार रोज़ो के बराबर है। मगर हज करने वाले पर जो अरफात में है उसे अरफ़ा के दिन रोज़ा रखना मकरूह है की, हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया : अरफ़ा के दिन अरफात में रोज़ा रखने से मना फ़रमाया।
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 352*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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