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Thursday 1 September 2016

मदनी पंजसुरह

*दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआ* #10
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_बाज़ार में दाखिल होते वक़्त की दुआ_*
*لَآ اِلٰهَ اِلَّا اللّٰهُ وَحْدَهُ لَاشَرِيْكَ لَهُ لَهُ الْمُلْكُ وَلَهُ الَحَمْدُ يُحْيِىْ وَيُمِيْتَ وَهُوَ حَىُّ لَّايَمُوْتُ بِيَدِهِ الْخَيْرُ وَهُوَ عَلٰى كُلِّ شَىْءٍ قَدِيْرٌ*
अल्लाह के सिवा कोई मअबूद नही, वो अकेला है, उसका कोई शरीक नही, उसी के लिये है बादशाही और उसी के लिए हम्द है, वही ज़िन्दा करता और मारता है वो ज़िन्दा है उसको हरगिज़ मौत नही आएगी, तमाम भलाइया उसी के दस्ते क़ुदरत में है और वो हर चीज़ पर क़ादिर है।
*✍🏽सुनन तिर्मिज़ी, 5/271*

     अल्लाह इस दुआ के पड़ने वाले के लिये 10 लाख नेकिया लिखता है और उस के 10 लाख गुनाह मिटाता है और उसके 10 लाख दर्जे बुलंद करता है और उस के लिये जन्नत में घर बनाता है।
*✍🏽मिरआतुल मनाजिह, 4/39*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 211*
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