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Tuesday 20 September 2016

तर्जमए कन्ज़ुल ईमान व तफ़सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान

#40
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सूरतुल बक़रह, आयत ④ⓞ_*
ऐ याक़ूब की सन्तान (1)
याद करो मेरा वह एहसान जो मैं ने तुम पर किया(2)
और मेरा अहद पूरा करो मैं तुम्हारा अहद पूरा करूंगा(3)
और ख़ास मेरा ही डर रखो(4)

*तफ़सीर*
      (1) इस्त्राईल यानी अब्दुल्लाह, यह इब्रानी ज़बान का शब्द है. यह हज़रत यअक़ूब अलैहिस्सलाम का लक़ब है.
*✍🏽मदारिक*
     कल्बी मुफ़स्सिर ने कहा अल्लाह तआला ने “या अय्युहन्नासोअ बुदू” (ऐ लोगो इबादत करो) फ़रमाकर पहले सारे इन्सानों को आम दावत दी, फिर “इज़क़ाला रब्बुका” फ़रमाकर उनके मुब्दअ का ज़िक्र किया. इसके बाद ख़ुसूसियत के साथ बनी इस्त्राईल को दावत दी.
     ये लोग यहूदी हैं और यहाँ से “सयक़ूल” तक उनसे कलाम जारी है. कभी ईमान की याद दिलाकर दावत की जाती है, कभी डर दिलाया जाता है, कभी हुज्जत (तर्क) क़ायम की जाती है, कभी उनकी बदअमली पर फटकारा जाता है. कभी पिछली मुसीबतों का ज़िक्र किया जाता है.
     (2) यह एहसान कि तुम्हारे पूर्वजों को फ़िरऔन से छुटकारा दिलाया, दरिया को फाड़ा, अब्र को सायबान किया. इनके अलावा और एहसानात, जो आगे आते हैं, उन सब को याद करो. और याद करना यह है कि अल्लाह तआला की बन्दगी और फ़रमाँबरदारी करके शुक्र बजा लाओ क्योंकि किसी नेअमत का शुक्र न करना ही उसका भुलाना है.
     (3) यानी तुम ईमान लाकर और फ़रमाँबरदारी करके मेरा एहद पूरा करो, मैं नेक बदला और सवाब देकर तुम्हारा एहद पूरा करूंगा. इस एहद का बयान आयत : “व लक़द अख़ज़ल्लाहो मीसाक़ा बनी इस्त्राईला”यानी और बेशक अल्लाह ने बनी इस्त्राईल से एहद लिया. (सूरए मायदा, आयत 12) में है.
     (4) इस आयत में नेअमत का शुक्र करने और एहद पूरा करने के वाजिब होने का बयान है और यह भी कि मूमिन को चाहिये कि अल्लाह के सिवा किसी से न डरे.
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