Pages

Monday 12 September 2016

क़ब्र में आनेवाला दोस्त

*क़ब्र को रौनक बख्शने और इसे आराम देह बनाने वाले आमाल* #03
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सब्र के अनवार_*
     एक तवील हदिष में ये भी है के जब मरने वाले को क़ब्र में रखा जाता है तो नमाज़ उसकी दाई तरफ आती है और रोज़े बाई तरफ और क़ुरआन व ज़िक्रो अज़्कार उस के सर के पास और उसका नमाज़ों की तरफ चलना क़दमो की तरफ और सब्र क़ब्र के एक गोशे में आता है।

     फिर अल्लाह अज़ाब भेजता है तो नमाज़ कहती है पीछे हट के ये तमाम ज़िन्दगी तकालिफ् बर्दाश्त करता रहा, अब आराम से लैटा है।
     फिर अज़ाब बाई तरफ से आता है तो रोज़े यही जवाब देते है, सर की जानिब से आता है तो यही जवाब मिलता है। पस अज़ाब किसी जानिब से भी उस के पास नही पहोचता। जिस राह से जाना चाहता है उसी तरफ से अल्लाह के दोस्त को महफूज़ पाता है लिहाज़ा  वो वहा से चला जाता है।
     उस वक़्त सब्र तमाम आमाल से कहता के में इस लिये न बोला के अगर तुम सब आजिज़ हो जाते तो में बोलता, लेकिन में अब पुल सिरात और मीज़ान पर काम आऊंगा।
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 66*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

No comments:

Post a Comment