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Thursday 8 September 2016

फुतूह अल ग़ैब

*खुदा से रिश्ता जोणनेवाले* : # 2
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

      फिर मैंने उनसे कहा के जब तुम मखलुकसे रिश्ता तोड़कर खुदा से रिश्ता जोड़ चुके हो तो फिर चाहिये के ज़बान बन्द रख्खो और किसीसे भी किसी तरह का सवाल न करो। जब इस पर आमिल हो जाओ तो दिल में भी किसी शैअका तसव्वुर न आने दो।
     इस लिए के दिल की ख्वाहिश और ज़बान से मांगने में कुछ फर्क नहीं है और ये भी याद रख्खो के चिज़ोंमे तगय्युर (हालत बदल देना)-व-तबदिल करने और बनाने-बिगाड़ने और इज़्ज़त बख्शने और ज़िल्लत देने में खुदा तआला की हर रोज़ नइ शान होती है। वो किसी गिरोह को इल्लय्यीन (जन्नत-आठवां आसमान) के मकाम तक रिफअत बखश्ता है और किसीको असफलुल साफेलीन में गिरा देता है।
बाक़ी कल की पोस्ट में... इंसा अल्लाह

*✍🏽फुतूहल ग़ैब*  पेज 35
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खादिमे दिने नबी ﷺ
 *फ़ैयाज़ सैय्यिद*
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