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Thursday 1 September 2016

सिरते मुस्तफाﷺ


*दसवा बाब* #01
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_हिजरत का पाचवा साल_*
     जंगे उहुद में मुसलमानो के जानी नुक़सान का चर्चा हो जाने और कुफ़्फ़ारे कुरैश और यहूदियो की मुश्तरीका साज़िशों से तमाम क़बाइले कुफ़्फ़ार का हौसला इतना बुलन्द हो गया कि सब को मदीने पर हम्ला करने का जूनून हो गया।
     चुनांचे सि.5 हि. भी कुफ़्र व इस्लाम के बहुत से मारिक़ो को अपने दामन में लिये हुए है। हम चन्द मश्हूर गज़वात व सराया का ज़िक़्र करेंगे...

*_गज़्वाए जातुर्र्क़ाअ_*
     सबसे पहले क़बाइले "अनमार व षालबा" ने मदीने पर चढ़ाई करबे का इरादा किया तो आपﷺ ने 400 सहाबए किराम का लश्कर अपने साथ लिया और 10 मुहर्रम सि 5 हि को मदीने से रवाना हो कर मक़ामे जातुर्र्क़ाअ तक तशरीफ़ ले गए लेकिन आपﷺ की आमद का हाल सुन कर ये कुफ़्फ़ार पहाड़ो में भाग कर छुप गए इस लिये कोई जंग नही हुई। मुशरिकीन की चन्द औरते मिली जिन को सहाबए किराम ने गिरफ्तार कर लिया। उस वक़्त मुसलमान बहुत ही मुफ़लिस कर तंग दस्ती की हालत में थे।
     चुनांचे हज़रते अबू मूसा अशअरीرضي الله تعالي عنه का बयान है कि सुवारियो की इतनी कमी थी कि छे छे आदमियो की सुवारि के लिये एक ऊंट था जिस पर हम लोग बारी बारी सुवार हो कर सफर करते थे, पहाड़ी ज़मीन में पैदल चलने से हमारे क़दम ज़ख़्मी और पाउ के नाख़ून झड़ गए थे इस लिये हम लोग ने अपने पाउ पर कपड़ो के चीथड़े लपेट लिये थे येही वजह है कि इस गज़्वे का नाम "गज़्वाए जातुर्र्क़ाअ" (पैवन्दो वाला गज़्वा) हो गया।

     बाज़ मुअर्रिखिन ने कहा कि चुकी वहा की ज़मीन के पथ्थर सफेद व सियाह रंग के थे और ज़मीन ऐसी नज़र आती थी गोया सफेद और काले पैवन्द एक दूसरे से जोड़े हुए है, लिहाज़ा इस गज़्वे को गज़्वाए जातुर्र्क़ाअ कहा जाने लगा और बाज़ का क़ौल है कि यहाँ पर एक दरख्त का नाम जातुर्र्क़ाअ था इस लिये लोग इस्क गज़्वाए जातुर्र्क़ाअ कहने लगे, हो सकता है कि ये सारी बाते हो।
     मश्हूर इमामे सीरत इब्ने सादرضي الله تعالي عنه का क़ौल है कि सबसे पहले इस गज़्वे में हुज़ूर ने "सलातुल खौफ" पढ़ी।
*सिरते मुस्तफा, 305*
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