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Monday 26 September 2016

मदनी पंजसुरह

*बराए क़ुव्वते हाफीजा*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

दीनी किताब या इस्लामी सबक़ पढ़ने से क़ब्ल ये दुआ अव्वल आखिर दुरुद पढ़ के पढ़ लीजिये انشاء الله जो कुछ पढ़ेंगे याद रहेगा

*اَللّٰهُمَّ افْتَحْ عَلَيْنَا حِكْمَتَكَ وَانْشُرْ عَلَيْنَا رَحْمَتَكَ يَاذَالْجَلَالِ وَالْاِكْرَام*
ऐ अल्लाह ! हम पर इल्मो हिक़मत के दरवाज़े खोल दे और हम पर अपनी रहमत नाज़िल फरमा ! ऐ अज़मत और बुज़ुर्गी वाले !

*✍🏽अलमुस्तरफ, 1/40*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 229*

*नॉट :* जिन हजरात को अरबी नही आती वो तर्जुमा याद करले और उसे पढ़े। और जो अरबी जानते है वो तर्जुमे को जहन में रखे ताकि पता चले की हम क्या पढ़ रहे है, ये दुआ में क्या है। अपनी मादरी ज़बान में दुआ पढ़ना बेहतर है।
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