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Monday 5 September 2016

तर्जमए कन्ज़ुल ईमान व तफ़सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान

#27
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सूरतुल बक़रह, आयत ②②_*
और जिसने तुम्हारे लिये ज़मीन को बिछौना और आसमान को इमारत बनाया और आसमान से पानी उतारा (1)
तो उससे कुछ फल निकाले तुम्हारे खाने को तो अल्लाह के लिये जानबूझकर बराबर वाले न ठहराओ (2)
*तफ़सीर*
     (1) पहली आयत में बयान फ़रमाया कि तुम्हें और तुम्हारे पूर्वजों को शून्य से अस्तित्व किया और दूसरी आयत में गुज़र बसर, जीने की सहूलतों, अन्न और पानी का बयान फ़रमाकर स्पष्ट कर दिया कि अल्लाह ही सारी नेअमतों का मालिक है. फिर अल्लाह को छोडकर दूसरे की पूजा सिर्फ बातिल है.
     (2) अल्लाह तआला के एक होने के बयान के बाद हुज़ूर सैयदुल अंबिया सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की नबुव्वत और क़ुरआने करीम के देववाणी और नबी का मोजिज़ा होने की वह ज़बरदस्त दलील बयान फरमाई जाती है जो सच्चे दिल वाले को इत्मीनान बख्शे  और इंकार करने वालों को लाजवाब कर दे.

*_सूरतुल बक़रह, आयत ②③_*
और अगर तुम्हें कुछ शक हो उसमें जो हमने अपने  (उन ख़ास) बन्दे(3) पर उतारा तो उस जैसी सूरत तो ले आओ(4) और अल्लाह के सिवा अपने सब हिमायतियों को बुला लो अगर तुम सच्चे हो,
*तफ़सीर*
     (3) ख़ास बन्दे से हुज़ूर पुरनूर सैयदे आलम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम मुराद हैं.
     (4) यानी ऐसी सूरत बनाकर लाओ   जो फ़साहत (अच्छा कलाम) व बलाग़त और शब्दों के सौंदर्य और प्रबंध और ग़ैब की ख़बरें देने में क़ुरआने पाक की तरह हो.

*_सूरतुल बक़रह, आयत ②④_*
फिर अगर न ला सको और हम फ़रमाए देते है कि हरगिज़ न ला सकोगे तो डरो उस आग से जिसका ईंधन आदमी और पत्थर हैं (5) तैयार रखी है काफ़िरों के लिये (6)
*तफ़सीर*
     (5) पत्थर से वो बुत मुराद हैं जिन्हे काफ़िर पूजते हैं और उनकी महब्बत में क़ुरआने पाक और रसूले करीम का इन्कार दुश्मनी के तौर पर करते हैं.
     (6) इस से मालूम हुआ कि दोज़ख पैदा हो चुकी है. यह भी इशारा है कि ईमान वालों के लिये अल्लाह के करम से हमेशा जहन्नम में रहना नहीं.

     *नॉट :* जो लोग ये कहते है के मोमिन को जहन्नम में नहीं ले जाया जाएगा वो इस आयत को पढ़े और समजे, *आयत 24 की तफ़सीर 6* से मालुम हुआ की ईमान वाला हो और फिर भी अगर वो गुनाह करे तो उसे उसकी सज़ा मिलेगी, उसके गुनाहो की सज़ा खत्म होने के बाद उसे जन्नत में ले जाया जाएगा और काफ़िर हमेशा जहन्नम में रहेंगे.
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