*दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआ* #21
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*
*_ताज़िय्यत करते वक़्त की दुआ_*
*اِنَّ لِلّٰهِ مَآ اَخَذَ وَلَهُ مَآ اَعْطٰى وَكُلٌّ عِنْدَهُ بِاَجَلٍ مُسَمًّى فَلْتَصْبِرْ وَلْتَحْتَسِبْ*
बेशक अल्लाह ही का है जो उस ने ले लिया और जो कुछ उसने दिया है हर चीज़ की उस बारगाह में मीआद मुक़र्रर है पस चाहिये कि तू सब्र करे और षवाब की उम्मीद रखे।
*नॉट :* जिन हजरात को अरबी नही आती वो तर्जुमा याद करले और उसे पढ़े। और जो अरबी जानते है वो तर्जुमे को जहन में रखे ताकि पता चले की हम क्या पढ़ रहे है, ये दुआ में क्या है। अपनी मादरी ज़बान में दुआ पढ़ना बेहतर है।
*✍🏽सहीह बुखारी, 1/434*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 223*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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बेशक अल्लाह ही का है जो उस ने ले लिया और जो कुछ उसने दिया है हर चीज़ की उस बारगाह में मीआद मुक़र्रर है पस चाहिये कि तू सब्र करे और षवाब की उम्मीद रखे।
*नॉट :* जिन हजरात को अरबी नही आती वो तर्जुमा याद करले और उसे पढ़े। और जो अरबी जानते है वो तर्जुमे को जहन में रखे ताकि पता चले की हम क्या पढ़ रहे है, ये दुआ में क्या है। अपनी मादरी ज़बान में दुआ पढ़ना बेहतर है।
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