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Sunday 4 September 2016

क़ब्र में आनेवाला दोस्त

*क़ब्र को जहन्नम का गढ़ा बनाने वाले आमाल* #08
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*
*_शराब, ज़िना, गीबत, झूटी क़समें खाना और रोज़ा न रखना_* #02
उस शख्स ने अपनी दस्ताने दहशत सुनानी शुरू की. कहने लगा : आलिजाह ! में एक कफ़न चिर हु. आज रात में ने 5 क़ब्रो से इब्रा हासिल की और तौबा पर आमादा हुवा।

*_शराबी का अंजाम_*
     कफ़न चुराने की गरज से में ने जब पहली क़ब्र खोदी तो मुर्दे का मुह क़िबले से फिरा हुवा था. में ख़ौफ़ज़दा हो कर जू ही पलटा के एक ग़ैबी आवाज़ ने मुझे चौक दिया. कोई कह रहा था : "इस मुर्दे से अज़ाब का सबब तो दरयाफ़्त कर ले." मेने घबरा कर कहा : मुझ में हिम्मत नही, तुम ही बताओ ! आवाज़ आई : ये शख्स शराबि और जानी था.

*_खिन्ज़ीर नुमा मुर्दा_*
     दूसरी क़ब्र खोदी तो एक दिल हिला देने वाला मंज़र मेरी आँखों के सामने था. क्या देखता हु के मुर्दे का मुह खिन्ज़ीर जैसा हो चूका है और वो तौक व ज़ंजीर में जकड़ा हुवा है. ग़ैब से आवाज़ आई ये जुटी कस्मे खता और हराम रोज़ी कमाता था.

*_आग की किले_*
     तीसरी क़ब्र खोदी तो उस में भी एक भयानक मंज़र था. मुर्दा गुद्दी की तरफ ज़बान निकाले हुए था और उसके ज़िस्म में आग की किले ठुकी हुई थी. गैबी आवाज़ आई : ये गीबत करता, चुगली खाता और लोगो को आपस में लड़वाता था.

*_आग की लपेट में_*
     चौथी क़ब्र खोदी तो मेरी निगाहो के सामने एक बेहद सनसनी खैज़ मंज़र था ! मुर्दा आग में उलट पुलट हो रहा था और फ़रिश्ते उसे आतिशी हथोड़ो से  मार रहे थे. मुझ पर एक डीएम दहशत तारी हो गई और में भाग खड़ा हुवा मगर मेरे कानो में एक गैबी आवाज़ गूंज रही थी के ये बद नसीब नमाज़ और रोज़े में सुस्ती करता था.

*_जवानी में तौबा का इनआम_*
     पाचवी क़ब्र खोदी तो उसकी हालत गुज़श्ता चारो क़ब्रो से बिलकुल बर अक्स थी. क़ब्र हद्दे नज़र तक वसी थी, अंदर एक तख्त पर खुबरु नैजवान बैठा हुवा था. ग़ैब से आवाज़ आई : इसने जवानी में तौबा करली थी और नमाज़ व रोज़ा का सख्ती से पाबन्द था.
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 50*
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